मीना की दुनिया(Meena Ki Duniya) रेडियो प्रसारण कार्यक्रम

एपिसोड : 16
◆दिनांक :04/11/2016
◆प्रसारण समय : 11:15am से 11:30am
◆आकाशवाणी केंद्र : लखनऊ 
◆आज की कहानी का शीर्षक : “फायदे का सौदा"

मीना अपनी माँ के साथ घर के आँगन में बैठी है|

मीना-(अपनी माँ से) माँ...आज बहिन जी ने हमें बताया कि शून्य यानी जीरो का आविष्कार भारत में हुआ था|

“हाँ,मीना बेटी तभी तो दुनिया को गिनती आई|”माँ ने कहा|

(दोनों खिलखिला के हँस पड़ते हैं|)

“माँ बहिन जी ने ये भी बताया कि...” मीना आगे कुछ कहती कि तभी नेपथ्य से आवाज़ आयी, “क्या बताया तुम्हारी बहिन जी ने?”

मीना की माँ उनका परिचय मीना से कराती है, “मीना, ये सरला हैं....सुमी की चाची जी साथ वाले गाँव में रहती हैं

सरला चाची राजू के बारे में पूंछती हैं| “वो अपने दोस्तों के साथ खेलने गया है|” मीना की माँ बोली, “अब तो तुम्हारा बेटा किशन भी बड़ा हो गया होगा|”

“हाँ...सात साल का हुआ है पिछले महीने|” सरला ने जबाब दिया|

    किशन की माँ उसे आवाज़ लगाती है| “किशन,इन्हें नमस्ते करो?....शरमा रहा है|” सरला चाची ने कहा|

मिठ्ठू चहका, “देखो कैसे शरमा रहा है? थोडा घबरा रहा है|”

“किशन बेटा, तुम कौन सी कक्षा में पढ़ते हो?”मीना की माँ ने पूँछा| सरला बतातीं हैं कि किशन स्कूल नहीं जाता| मीना की माँ ने कहा,“क्या?स्कूल जाना तो हर बच्चे के लिए जरूरी है”

सरला चाची बात टाल जातीं हैं|

मीना- किशन,बाहर आँगन में झूला है...तुम झूला झूलोगे| मीना किशन को झूला झुलाने को उसकी माँ से पूंछती है| मीना किशन को झूला झुलाने बाहर ले गयी| उनके जाने के बाद मीना की माँ ने सरला से कहा, “सरला, तुमने मेरे सवाल का जबाब नहीं दिया| किशन स्कूल क्यों नहीं जाता?”

सरला- अब क्या बताऊँ? किशन के पिताजी का कहना है...जब बड़े होकर किशन को उनकी तरह किसान ही बनना है तो स्कूल जाने की क्या जरूरत|”

मीना की माँ समझातीं है, “तुम्हें किशन को स्कूल जरुर भेजना चाहिए| ये उसका अधिकार है|”मीना की माँ ने आगे कहा, “हाँ...6-14 साल तक के हर बच्चे को स्कूल में आठ साल तक प्रारम्भिक शिक्षा प्राप्त करने का कानूनी अधिकार है|”

सरला बताती है, ‘मैं तो किशन को स्कूल भेजना चाहती थी लेकिन किशन के पिताजी ने मना कर दिया|’

मीना की माँ- तुम चिंता मत करो सरला, मैं भाई साहब से इस बारे में बात करुँगी| अब तुम बैठो मैं तुम्हारे लिए चाय नाश्ता लाती हूँ|

मीना की माँ को अचानक याद आता है, ‘.....चीनी तो है ही नहीं’ मीना को आवाज लगाती हैं...पैसे देकर उससे लालाजी की दुकान से चीनी लाने को कहतीं हैं| किशन की माँ भी किशन को पैसे देकर उससे साबुन लाने को कहती हैं|

     मीना और किशन लालाजी की दुकान की तरफ जा ही रहे थे कि तभी उन्हें मिला मीना का दोस्त भोलू| भोलू ने मीना को बताया कि पास ही एक नई दुकान खुली है जिससे सामान खरीदने पर ग्राहक का फायदा ही फायदा है जैसे एक चीज खरीदने पर दूसरी मुफ्त या कोई चीज खरीदने पर इतने रुपये की छूट| वगैरह....वगैरह...| मीना और किशन, भोलू के साथ उस दुकान पर पहुंचे|

“मीना दीदी मैं ये साबुन खरीदूंगा” किशन बोला|

मीना देखती है कि पैकेट पर दाम तो बारह रुपये लिखा हुआ है जबकि यही साबुन लालाजी की दुकान पर पांच रुपये का मिलता है|

किशन- ध्यान से देखो मीना दीदी इस पैकेट में एक नहीं दो साबुन हैं| बारह रुपये में दो साबुन...हुआ न ये ‘फायदे का सौदा’| किशन खुशी से उछल पड़ा|

“फायदे का नहीं किशन, घाटे का सौदा” भोलू बोला|

मीना किशन को समझाती है, “देखो किशन 5 जमा5 बराबर 10 यानी अगर तुम लालाजी की दुकान से साबुन खरीदोगे तो वो तुम्हें मिलेंगे दस रुपये के जबकि यहाँ दो साबुन मिल रहे हैं 12/-रुपये के यानी दो रुपये का नुकसान|”

किशन को बात समझ आती है|

भोलू- किशन, स्कूल में हमारी बहिन जी हमें सब सिखाती हैं| तभी तो हम एक मिनट में पता लगा लेते हैं कि सौदा फायदे का है या घाटे का|.....जिस तरह चीनी का एक किलो पैकेट खरीदने में फायदा है न कि आधा किलो का पैकेट खरीदने में|

     मीना किशन को लेके अपने घर पहुंची और जब उसने अपनी माँ को और सरला को सारी बातें बताईं तो सरला ने कहा, “क्या बताऊँ मीना बेटी किशन हिसाब किताब में थोडा कमजोर है|” “तभी तो मैं कहा था की किशन को स्कूल जरूर जाना चाहिए|” मीना की माँ ने कहा,स्कूल जायेगा तो बाकी की चीजों के साथ हिसाब-किताब भी सीख जायेगा|

मिठ्ठू चहका, ‘सीख जायेगा अगर स्कूल जायेगा|’

मीना समझाती है, “...स्कूल जाके तुम बहुत सारी चीजें सीखोगे जैसे कि विज्ञान,गणित,इतिहास, भूगोल,तुम्हें किताबें कापियां,वर्दी,खाना,सब कुछ मुफ्त मिलेगा.जिन बच्चों के घर स्कूल से दूर हैं उन्हें यातायात की सुविधा भी मिलती है|”यही बात मीना की माँ भी जोड़ती हैं|

सरला- मीना की माँ, आज तुमने और मीना ने मेरी आँखें खोल दीं| मैं आज ही किशन के पिताजी से बात करुँगी और उन्हें इस फायदे के सौदे के बारे में बताउंगी|

“...सच माँ” किशन उछला| “ हाँ किशन, अब हम जल्दी ही तुम्हें स्कूल में दाखिल करवायेंगे|

मिठ्ठू ने तान छेड़ी, ‘दाखिल करवायेंगे समझदार कहलायेंगे’

मीना,मिठ्ठू की कविता :

 “ 6  से 14 साल के हर बच्चे को दो  ये समाचार
सरकारी स्कूलों में मुफ्त शिक्षा है उनका अधिकार|”

आज का गीत :

          टन-टन-टन सुनो घंटी बजी स्कूल की

          चलो स्कूल तुमको पुकारे|

          पल-पल-पल रोशनी जो मिली स्कूल की

          जगमगाओगे तुम बनके तारे

          टन-टन-टन..............

          कॉपी और किताबें सारी स्कूल देगा-स्कूल देगा

          यूनिफार्म भी तुम्हारी स्कूल देगा-स्कूल देगा

          स्कूल अब घर से दूर नहीं है कम हो गए फासले

          पहुंचोगे स्कूल के गेट पर थोडा सा भी जो चले

          प्यार और नरमी से तुमको पढ़ायेंगे टीचर हैं ऐसे भले

          टन-टन-टन.......................|

          टन-टन-टन- ‘शिक्षा मेरा अधिकार है’

आज का खेल- ‘अक्षरों की अन्त्याक्षरी’

          शब्द- ‘अचानक’

◆अ- आटा (आटे में नमक)

◆ च- चादर (चादर से बाहर पैर पसारना)

◆न- नज़र (नजर से गिरना)

◆क- कान (कान खाना)

आज की कहनी का सन्देश:

स्कूल जाने से केवल शिक्षा ही प्राप्त नहीं होती,वरन् उससे हम व्यवहारिक जीवन में होने वाले फायदे और घाटे की शिक्षा प्राप्त करते हैं|