मीना की दुनिया-रेडियो प्रसारण कार्यक्रम :
◆एपिसोड : 28
◆दिनांक :25/11/2016
◆प्रसारण समय : 11:15am से 11:30am
◆आकाशवाणी केंद्र : लखनऊ
◆आज की कहानी का शीर्षक : “बिन बोले क्या कहा ? - शारीरिक भाषा का महत्त्व”
बहिन जी क्लास में बताती है की परसों डी०सी० साहब
यानी डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर, हमारे गाँव के दौरे पर आने
वाले है इसलिए सरपंच जी चाहते है कि अपने स्कूल के कोई दो बच्चों डी०सी० साहब को स्कूल में हुई प्रगति के विषय में बतायें।
“बहिन जी वो दो बच्चे कौन से है” सुमी बोल पड़ी।
बहिनजी-.....एक तो मैंने चुना है दसवीं क्लास के रजत को ओर दूसरे बच्चे का नाम है सुमी ....सुमी कल तुम्हे और रजत को सरपंच जी से मिलने जाना
होगा ...क्योंकि सरपंच जी तुम्हारी और रजत की तैयारी देखना चाहते है।
सुमी- लेकिन बहन जी, मै सरपंच जी के सामने बोलूंगी
क्या ?
बहिन जी – मैंने अभी बताया न सुमी तुम्हें और रजत को स्कूल में हुई प्रगति के बारे में बोलना है।
मीना सुझाव देती है, ‘बहन जी, आप चाहें तो आधी
छुट्टी के समय मैं सुमी की मदद कर दूंगी।
और फिर आधी छुट्टी के वक्त........
मीना– सुमी मेरे ख्याल से सबसे पहले तुम्हें एक सूची
बनानी चाहिए। जिसमे तुम वो सब बाते लिखोगी जो
पिछले एक साल में हमारे स्कूल की प्रगति हिस्सा बनी है जैसे कि पिछले एक साल में स्कूल आने वाले बच्चों की संख्या बढी है।
सुमी ने सुर मिलाया, ‘और उपस्थिति भी’।
★हमारे स्कूल में नया संगीत कक्ष बना है।
★ स्कूल के पुस्तकालय में पुस्तकों की संख्या में पिछले
साल की अपेक्षा दुगुनी हो गयी है।
★हमारे स्कूल में हर महीने स्कूल प्रबन्धन कमेटी की
मीटिंग होती है।
सुमी प्रश्न करती है, ‘क्या इसे भी स्कूल की प्रगति
माना जायेगा?’
मीना- हाँ, सुमी ये तो प्रगति की ख़ास निशानी है।
मीना और सुमी ने मिलकर सूची तैयार कर ली और फिर
आधी छुट्टी के बाद वो दोनों बहिन जी के पास गयीं
और उन्होंने वो सूची उन्हें दिखाई।
बहिन जी- शाबाश!...मीना..सुमी...तुमने सचमुच बहुत
बढ़िया तरीके से सूची तैयार की है।...सुमी आज तुम इस सूची में लिखी सारी बातें अच्छे से याद कर लेना। कल तुम्हें सरपंच जी के पास जाके ,उन्हें ये सब बताना होगा।
और फिर अगले दिन क्लास में .....
सुमी आती दिखाई देती है जो बहुत ही उदास और कुछ
परेशान भी लग रही है।
बहिन जी के पूँछने पर सुमी जबाब देती है, ‘बहिन जी, रजत भईया और मैंने सरपंच जी को स्कूल की प्रगति के विषय में बताया....सरपंच जी ने रजत भईया की तो तारीफ की लेकिन मुझे और अधिक मेहनत करने को कहा।....बहिन जी,लगता है आपको अब किसी और बच्चे को चुनना होगा।
बहिन जी सुमी की हिम्मत बढाती है, ‘....डी० सी०
साहब तो कल आयेंगे तो तुम्हारे पास आज का पूरा दिन
है और अधिक तैयारी करने को।....सुमी जैसे तुम सरपंच जी के सामने बोली थी क्या वैसे ही हमारे सामने बोल सकती हो?
सुमी बोलना शुरु करती है, ‘ नमस्ते,...मेरा...नाम सुमी
है।....आज मैं आपको....अपने स्कूल...की कुछ
विशिष्ट...उपलब्धियों...के विषय में बताना...चाहूंगी.....।
बहिन जी- एक मिनट रुको सुमी,...बच्चों कैसी लगी तुम्हे सुमी की तैयारी?
मीना- मेरे ख्याल से सुमी अपनी बात बोलते हुए हममे से किसी को नही देख रही थी।
बहिन जी समझाती हैं, ‘सुमी, तुम्हें अपनी बात पूरे
विशवास के साथ करनी चाहिए। और बोलते हुए नीचे
जमीन की तरफ नहीं बल्कि सबकी आँखों में देखना
चाहिए। जब हम सामने वाले की आँखों में देखके अपनी बात कहते है तो ये हमारे आत्मविश्वास को दर्शाता है।.
.....नज़र मिलाके बात करना, आत्मविश्वास के साथ बोलना, सीधे खड़े होके बात करना, बात करते समय अपने हाथों का इस्तेमाल करना इन सब को अंग्रेजी में कहते है- बॉडी लैंग्वेज यानी शारीरिक भाषा।...कल जब तुम सरपंच जी से मिलने जाओगी तो अपनी शारीरिक भाषा का ख़ास ध्यान रखना।
सुमी ने पूरा दिन बहिन जी के बताये हुए तरीके से बोलने का अभ्यास किया और अगले दिन डी० सी० साहब के सामने- “नमस्ते, मेरा नाम सुमी है। आज मैं आपको अपने स्कूल की कुछ विशिष्ट उपलब्धियों के विषय में बताना चाहूंगी.....।” सुमी धाराप्रवाह और आत्मविश्वास के साथ बोलती चली जाती है। सुमी के आत्मविश्वास के प्रभावित होके डी० सी० साहब बोले, ‘सरपंच जी, मैंने आज तक सुमी से अधिक आत्मविश्वासी लड़की नहीं देखी। सुमी के लिए जोरदार तालियाँ।’ (तालियों की गडगडाहट होती है)
◆मीना, मिठ्ठू की कविता :
“बातचीत है एक कला, इस कला की कीमत जानो।
शारीरिक भाषा और भाव के महत्त्व को पहचानो।।”
◆आज का गीत :
टिम-टिम-टिम बूँदें बारिश की जरा सुनो
सन-सन-सन हवा चली जरा सुनो
कल-कल-कल नदी बही ज़रा सुनो
छन-छन-छन पायल बोली जरा सुनो
ज़रा सुनो.....................................
👉(पूरे गाने हेतु कृपया पिछले एपिसोड्स का सन्दर्भ लें ।)
◆आज का खेल : ‘अक्षरों की अन्त्याक्षरी’
शब्द-‘अलग’
‘अ’- आग (आग से खेलना)
‘ल’- लाठी (अंधे की लाठी)
‘ग’- गला (गले पड़ना)