📝एपिसोड- 52
◆आज का दिन : शुक्रवार
◆आज की तिथि : 27 जनवरी 2017
◆आज की कहानी का शीर्षक-“ सुनहरी को बचाओ”

टन टन टन टन ... स्कूल की घंटी बजी और बच्चों की झड़ी स्कूल से बाहर निकली। मीना और उसके दोस्त रोज़ ही की तरह बाते करते घर की ओर जा रहे थे, कि तभी पास के कुएँ से रंभाने की आवाज़ सुनाई पड़ी।

मीना और उसके दोस्त कुएं  के पास दौड़े और भीतर झांक कर देखा। अरे, यह तो रानो की बछिया ‘सुनहरी’ है! सुनहरी को कुएं में गिरा देख, रानो खूब ज़ोर-ज़ोर से रोने लगी।

मीना ने रानो को दिलासा देते हुए कहा, “रो मत रानो, सब ठीक हो जाएगा। मैं अभी जाती हूँ और बहनजी को बुलाकर लाती हूँ”

 मीना फ़ौरन गई और बहनजी को ले आई। बहनजी को देख रानो मेरी सुनहरी .... मेरी सुनहरी कह बिलख-बिलखकर रोने लगी।

बहनजी ने रानो को समझाया, “रानो! हर समस्या का कोई ना कोई हल होता है .... अगर हम समस्या से ही घबरा जाएँगे, रोने लगेंगे ,तो उसका हल कैसे सोचेंगे , बोलो! चलो अब रोना बंद करो, हम सब मिलकर इसका हल सोचते हैं”

फिर सभी बच्चे और बहनजी एकजुट हो सोचने लगे।
दीपा बोली, “बहनजी, क्यों न हम एक लंबी सीढ़ी कुएं में डाल दें, उस पर चढ़ सुनहरी बाहर आ जाएगी ...है ना?”

“......पर इतनी लंबी सीढ़ी आएगी कहाँ से?“ सभी ने हैरानी से पूँछा।

सुमी ने भी तरकीब सुझाई, “अगर एक मोटी रस्सी होती तो उसे पकड़कर मै नीचे जाती और सुनहरी को ऊपर ले आती|”

“यह कैसे हो सकता है?सुनहरी तुम्हारी छोटी-सी बकरीमुन-मुन थोड़ी ही है जिसे उठाकर तुम ऊपर ले आओगी”,बहनजी ने समझाते हुए कहा।

रीता ने कहा, “अगर हम कुँए में कुर्सी डालें तो? जब मुझे घर में ऊपर से कोई चीज़ उठानी होती है तो मैं कुर्सी पर चढ़, उतार लेती हूँ ... ऐसे ही सुनहरी कुर्सी पर चढ़ ...”

“क्या सुमी, सुनहरी कुर्सी पर कैसे चढ़ सकती है? और वैसे भी हम इतनी ऊँची कुर्सी कहाँ से लाएँगे?” दीपा ने पूँछा ।

“अब हम क्या करें? ”सभी बच्चे गंभीर स्वर में बोले।
        

 तभी मीना ने सुझाई एक तरकीब।
वह बोली, ”देखो आस-पास कितनी मिट्टी है! अगर हम कुएं  में बहुत सारी मिट्टी डालें तो हो सकता है कि सुनहरी उस पर चढ़ कर ऊपर तक आ जाए|”

“अरे हाँ! बिल्कुल वैसे ही जैसे प्यासे कौवे ने घड़े में
कंकड़ डाल-डाल कर पानी पिया था,“ रीता  ताली बजाते हुए बोली।

“पर अगर मेरी सुनहरी मिट्टी के नीचे दब गई तो?” रानो ने घबराकर पूछा।”ऐसा नहीं होगा रानो। हम कुएं  के एकतरफ़ घास डाल देंगे। जब सुनहरी घास खाएगी तो हम दूसरी तरफ़ मिट्टी भर देंगे,”मीना ने जबाव दिया।
“शाबाश मेरे बच्चों! चलो अब जल्दी करो,“ बहनजी बोलीं।

सभी बच्चे काम में जुट गए और मिट्टी इकट्ठा कर कुएं  में डालने लगे।धीरे-धीरे सुनहरी ऊपर आने लगी और आख़िरकार कुएं  से बाहर आ गई।

बहनजी बोली, “देखा बच्चों, हम सब की मेहनत और सूझ-बूझ से ही हम सुनहरी को कुएं से बाहर निकाल पाए। याद रखना, कभी भी कोई मुश्किल आए तो सबसे पहले उसके बारे में सोचो ... जो रास्ता सबसे सही लगेउसे चुन लो ... बस, हो गई मुश्किल दूर।

“अब मैं ऐसा ही करूँगी बहनजी!” रानो ने कहा, और
सुनहरी को सहलाते हुए, अपने सभी दोस्तों का धन्यवाद किया।

आज का गाना :
हम को छोटा नहीं समझना हम तो लाजबाव हैं,
कितने भी हो प्रश्न तुम्हारे अपने पास जबाव है|
हम जो सोचे वो करते हैं नहीं मुश्किलों से डरते हैं,
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आज का खेल :  “कौन बोला बोल”
★सितार
★सारंगी
★ इकतारा
★ बाँसुरी
सही उत्तर- बाँसुरी

आज की कहानी का सन्देश :
“मुश्किल नहीं कोई समस्या, सोचो उसका हल
सही चुनाव से तुम हो जाओगे सफल |”