पहली श्रेणी में फर्जी प्रमाणपत्रों पर नौकरी हासिल करना, दूसरी श्रेणी में किसी अन्य के प्रमाणपत्रों के आधार पर नौकरी करना जैसे अनामिका प्रकरण और तीसरी श्रेणी में नौकरी किसी की होती है और पढ़ता कोई और है यानी प्रॉक्सी शिक्षक। अनामिका प्रकरण के बाद इस तरह की तमाम शिकायतें आ रही हैं। जांच के पहले चरण पर काम शुरूपहले चरण में मानव संपदा पोर्टल पर शिक्षकों की सर्विस बुक व अन्य प्रमाणपत्र डाले गए हैं। 99 फीसदी शिक्षकों के प्रमाणपत्र अपलोड कर दिए गए हैं। एक फीसदी में क्या गड़बड़ी है इस मामले में कार्रवाई की जा रही हैं।
वहीं प्रमाणपत्रों के अपलोड करने के बाद अब इन्हें शिक्षकों से ही जंचवाया जा रहा है कि वे इसे देख कर बताएं कि इसमें क्या गड़बड़ी है। इसे ठीक करने के लिए फार्म भरवाया जा रहा है।
एक बार यह डाटा लॉक हो गया तो इसमें पाई गई गड़बड़ी की सारी जिम्मेदारी शिक्षक की हो। माना जा रहा है कि फर्जी शिक्षक इससे बचेंगे। वहीं इस पोर्टल पर आधार नंबर भी लिंक हो रहा है। एक बार सभी जिलों का डाटा सिंक्रोनाइज़ हो जाएगा तो इससे एक साथ सामने आ जाएगा कि पूरे प्रदेश में कितने शिक्षक दूसरी श्रेणी वाले हैं यानी एक ही प्रमाणपत्र पर कई लोग नौकरी कर रहे हैं।
संदिग्ध शिक्षकों के प्रमाणपत्रों का होगा दोबारा सत्यापनइसके बाद शिक्षकों के प्रमाणपत्रों को केजीबीवी की तरह सत्यापित किया जाएगा यानी शिक्षकों के प्रमाणपत्रों को देखा जाएगा और अगर वे संदिग्ध दिखते हैं तो उन्हें विवि या बोर्ड में सत्यापन के लिए भेजा जाएगा।
बेसिक शिक्षा विभाग ने इस काम को जल्द पूरा करने के लिए उच्च शिक्षा विभाग से भी बात कर ली है और पूरे प्रदेश में ऐसे नामों की सूची बना कर एक साथ भेजा जाएगा ताकि सत्यापन में समय न लग सके। प्रॉक्सी शिक्षकों पर भी कसेगी नकेलइस सत्र से विभाग टैबलेट के जरिए बायोमीट्रिक हाजिरी लेने जा रहा है। इसके जरिए प्रॉक्सी शिक्षकों पर भी नकेल कसी जा सकेगी। वहीं घर बैठे तनख्वाह उठाने वाले शिक्षकों पर भी पकड़ होगी। हर जिले में कुछेक हजार ऐसे शिक्षक हैं जो स्कूल जाते ही नहीं या फिर प्रॉक्सी शिक्षक को तैनात करा देते हैं।