वित्त मंत्रालय ने दिया स्पष्टीकरण सरकारी नौकरी हेतु भर्तियों में कोई रोक नही - no ban govt job declaration by finance ministry
CLARIFICATION - There is no restriction or ban on filling up of posts in Govt of India . Normal recruitments through govt agencies like Staff Selection Commission, UPSC, Rlwy Recruitment Board, etc will continue as usual without any curbs.
नई दिल्ली : सरकारी विभागों में नए पदों के सृजन पर लगाई गई रोक को लेकर कांग्रेस की ओर से लगाए जा रहे सभी आरोपों को खारिज करते हुए सरकार ने स्पष्ट किया है कि इन उपायों से नियमित भर्तियों पर कोई असर नहीं पड़ेगा। नियमित भर्तियां बिना किसी प्रतिबंध या कटौती के जारी रहेंगी।
उल्लेखनीय है कोरोना की वजह से वर्तमान वित्तीय हालात को देखते हुए केंद्र सरकार ने सभी विभागों में नए पदों के सृजन पर रोक लगा दी है। वित्त मंत्रलय के व्यय विभाग की ओर से शुक्रवार को जारी निर्देश के मुताबिक यह रोक सभी मंत्रलयों, विभागों, उनसे जुड़े कार्यालयों व उनके अधीनस्थ कार्यालयों, वैधानिक संस्थाओं व स्वायत्त संस्थाओं के लिए होगी। व्यय विभाग के इस निर्देश से कांग्रेस को मुद्दा मिल गया। इस पर पहले राहुल गांधी ने ट्वीट के जरिए और बाद में राजीव शुक्ला ने वचरुअल प्रेस कांफ्रेस के जरिए सरकार को घेरने की कोशिश की। राहुल ने कहा कि केंद्र सरकार ‘मिनिमम गवर्नमेंट, मैक्सिमम प्राइवेटाइजेशन’ की व्यवस्था पर चल रही है। वहीं शुक्ला ने कहा कि डांवाडोल अर्थव्यवस्था के दौर में सरकारी भर्तियों पर रोक लगना बहुत ही चिंताजनक है। वहीं सरकार ने शनिवार को इस मुद्दे पर अपनी स्थिति साफ कर कांग्रेस के आरोपों की हवा निकाल दी। वित्त मंत्रलय ने साफ कहा कि इस निर्देश से सरकारी भर्तियों में न तो कटौती हो रही है और न ही किसी तरह की रोक लगने जा रही है। सरकारी एजेंसियों कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी), संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) रेलवे रिक्रुटमेंट बोर्ड आदि से होने वाले भर्तियां निर्बाध जारी रहेंगी।
वित्त मंत्रलय द्वारा शुक्रवार को जारी निर्देश में कहा गया था कि अगर रिक्तियां सृजन करने के अधिकार के तहत किसी विभाग ने बिना व्यय विभाग की अनुमति के इस साल एक जुलाई के बाद किसी पद को भरने के लिए पद निकाले हैं और उसे अब तक भरा नहीं गया है तो अब उस पद को भरा नहीं जाएगा। रिक्तियां निकालने वाला विभाग अगर यह मानता है कि उस पद को भरा जाना अति आवश्यक है तो उस प्रस्ताव को व्यय विभाग के पास भेजा जा सकता है।
’>>वित्त मंत्रलय ने कांग्रेस के आरोपों को किया खारिज
’>>खर्चो में कटौती को लेकर व्यय विभाग के सकरुलर से पैदा हुआ भ्रम
नौकरियों का मामला
नई दिल्ली : सरकारी विभागों में नए पदों के सृजन पर लगाई गई रोक को लेकर कांग्रेस की ओर से लगाए जा रहे सभी आरोपों को खारिज करते हुए सरकार ने स्पष्ट किया है कि इन उपायों से नियमित भर्तियों पर कोई असर नहीं पड़ेगा। नियमित भर्तियां बिना किसी प्रतिबंध या कटौती के जारी रहेंगी।
उल्लेखनीय है कोरोना की वजह से वर्तमान वित्तीय हालात को देखते हुए केंद्र सरकार ने सभी विभागों में नए पदों के सृजन पर रोक लगा दी है। वित्त मंत्रलय के व्यय विभाग की ओर से शुक्रवार को जारी निर्देश के मुताबिक यह रोक सभी मंत्रलयों, विभागों, उनसे जुड़े कार्यालयों व उनके अधीनस्थ कार्यालयों, वैधानिक संस्थाओं व स्वायत्त संस्थाओं के लिए होगी। व्यय विभाग के इस निर्देश से कांग्रेस को मुद्दा मिल गया। इस पर पहले राहुल गांधी ने ट्वीट के जरिए और बाद में राजीव शुक्ला ने वचरुअल प्रेस कांफ्रेस के जरिए सरकार को घेरने की कोशिश की। राहुल ने कहा कि केंद्र सरकार ‘मिनिमम गवर्नमेंट, मैक्सिमम प्राइवेटाइजेशन’ की व्यवस्था पर चल रही है। वहीं शुक्ला ने कहा कि डांवाडोल अर्थव्यवस्था के दौर में सरकारी भर्तियों पर रोक लगना बहुत ही चिंताजनक है। वहीं सरकार ने शनिवार को इस मुद्दे पर अपनी स्थिति साफ कर कांग्रेस के आरोपों की हवा निकाल दी। वित्त मंत्रलय ने साफ कहा कि इस निर्देश से सरकारी भर्तियों में न तो कटौती हो रही है और न ही किसी तरह की रोक लगने जा रही है। सरकारी एजेंसियों कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी), संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) रेलवे रिक्रुटमेंट बोर्ड आदि से होने वाले भर्तियां निर्बाध जारी रहेंगी।
वित्त मंत्रलय द्वारा शुक्रवार को जारी निर्देश में कहा गया था कि अगर रिक्तियां सृजन करने के अधिकार के तहत किसी विभाग ने बिना व्यय विभाग की अनुमति के इस साल एक जुलाई के बाद किसी पद को भरने के लिए पद निकाले हैं और उसे अब तक भरा नहीं गया है तो अब उस पद को भरा नहीं जाएगा। रिक्तियां निकालने वाला विभाग अगर यह मानता है कि उस पद को भरा जाना अति आवश्यक है तो उस प्रस्ताव को व्यय विभाग के पास भेजा जा सकता है।
’>>वित्त मंत्रलय ने कांग्रेस के आरोपों को किया खारिज
’>>खर्चो में कटौती को लेकर व्यय विभाग के सकरुलर से पैदा हुआ भ्रम
नौकरियों का मामला